कद्र

कद्र करिये हमारी खामोशी की
हम तुम्हारी औकात चुपाये बैठे हैं !

जियेंगे खील खुलके, सत्य की राह पर
आप जैसे गद्दार तो हर मुकाम पे बैठे हैं !

आप बंद करोगे एक ही दरवाजा
वो मालिक हजार दरवाजे खोले बैठे हैं !

बस कद्र करिये हमारे मासुमियात की
हम तुम्हारी हर गलती माफ कर बैठे हैं !

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